हरियाणा के ऊर्जा, परिवहन एवं श्रम मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि जीवन और शिक्षा का जो मकसद है वो है सर्वांगीण विकास, हमने अपनी युवा पीढ़ी को हर तरह से पारंगत बनाना है
श्री विज अम्बाला छावनी के सिसिल कॉन्वेंट स्कूल के वार्षिक समारोह में विद्यार्थी एवं अभिभावकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा को बेहतर बनाते हुए वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प विकसित भारत बनाने के लक्ष्य को पूरा करने का आहवान युवा पीढ़ी से किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों द्वारा प्रस्तुत किए गए सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जमकर प्रशंसा की और स्कूल को सामाजिक कार्यों के लिए 10 लाख रुपए अपने स्वैच्छिक कोष से देने की घोषणा की। इससे पहले कार्यक्रम में पहुंचने पर स्कूल प्रबंधन समिति के पदाधिकारियों द्वारा मंत्री अनिल विज का जोरदार स्वागत किया गया। मंत्री अनिल विज ने कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में अव्वल आए विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया।
श्री विज ने इस मौके पर कहा कि अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, हमारा देश अलग-अलग भाषाओं एवं संस्कृति का देश हैं, स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा आज यहां पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जो प्रस्तुति दी गई है उसमें लगभग सारे हिन्दुस्तान का दर्शन करवाया गया हैं। शिक्षा का अर्थ होता हैं ज्ञान, कौशल और मूल्यों को ग्रहण करना यानी उन्हें प्राप्त करना। ज्ञान को हमारी किताबों स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों से प्राप्त करने की व्यवस्था की गई हैं ताकि विद्यार्थी यहां से उच्च स्तर का ज्ञान प्राप्त करके जीवन में आगे बढ़ सकें। इसी प्रकार कौशल रूपी ज्ञान को प्राप्त करने के लिए भी व्यवस्था की गई हैं। तकनीकी के इस युग में बच्चों को नई-नई तकनीकों के बारे में कौशल मिले, इसके लिए पॉलिटेक्निक, आईटीआई, इंजीनियरिंग कॉलेज व मेडिकल कॉलेजों में इसकी व्यवस्था करते हुए तकनीकी कौशल उपलब्ध करवाया जा रहा हैं। हमारा जो अधिकतर ज्ञान है वो हमारे शास्त्रों से हमें पढक़र सिखने को मिलता हैं, परंतु विडंबना है कि हमारे शास्त्र संस्कृत में लिखे हुए हैं, संस्कृत हमसे बहुत पहले साजिश के तहत छीन ली गई थी। उन्होंने इस मौके पर यह भी कहा कि हमारे देश की सोच है कि केवल इंग्लिश पढकर ही हम सब सिख सकते हैं। परन्तु यह सत्य नहीं हैं, फ्रांस की बात करें तो वहां फ्रेंच बोली जाती है, वहां पर जितनी भी दुकाने, उद्योग है वहां पर उनके बाहर फ्रेंच में ही लिखा जाता हैं। चाईना विश्व में बड़ी ताकत है और वहां पर भी चाईनिंज भाषा का प्रयोग किया जाता हैं। जापान एक छोटा सा देश है वहां पर भी जैपनिज पढाई जाती हैं। जर्मन में जर्मनी की पढाई करवाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी मातृभाषा हैं, हमें अपनी मातृभाषा का भी अध्ययन करना चाहिए, उसका पूरा ज्ञान लेने के भी हमें आवश्यकता हैं। ज़िन्दगी का जो मकसद है वह है सर्वांगीण विकास।
श्री विज ने इस मौके पर यह भी कहा कि सिसिल कॉन्वेंट स्कूल सफलता की उच्चाईयों को छू रहा हैं। चाहें शिक्षा की बात हो, खेल कूद की बात हो चाहे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बात हो, हर क्षेत्र में इस स्कूल के विद्यार्थी अव्वल है, जिसके लिए वह स्कूल प्रबधंक कमेटी व टिचिंग स्टॉफ को शुभकामनाएं देते हैं। आज भारत के सामने जो चुनौतियां है उन सबका मुकाबला करने के लिए हमें अपने बच्चों को हर क्षेत्र में पारगंत विद्या हासिल करवानी हैं। उन्होनें कहा कि स्कूलों व कॉलेजों में आने वाले विद्यार्थियों को उच्च स्तर की शिक्षा उपलब्ध करवाते हुए समाज का निर्माण किया जाता हैं, यहां से विद्यार्थियों को बेहतर प्रशिक्षण देते हुए उनकी आधाशिला व नींव को मजबूत किया जाता हैं। उन्होनें कहा कि प्रतियोगिता के इस युग में हम विश्व की सभी प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान पर रहें इसके लिए हमें कार्य करना हैं और आज देश तेजी से आगे बढ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को हमें मिलकर पूरा करना हैं और उसके लिए अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर, ब्यौरोक्रेसी व अन्य हर क्षेत्रों में सधे हुए विद्यार्थी तैयार करने की आवश्यकता है, तभी हम विकसित भारत के सपने को मिलकर पूरा करेंगे।
श्री विज ने इस मौके पर यह भी कहा कि हर सामाजिक संस्था के दो महत्वपूर्ण काम होते हैं जिनमें शिक्षा व स्वास्थ्य शामिल हैं। हमारे देश में इन दोनों क्षेत्रों में निजी क्षेत्र अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा हैं। हमारे शहर की संस्थाएं भी इस क्षेत्र में अग्रणी हैं। सिसिल कॉन्वेंन्ट स्कूल अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहा हैं।
इस मौके पर स्कूल प्रबधंक कमेटी के पदाधिकारीगण, प्रधानाचार्य के साथ-साथ अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहें।