आर्य गर्ल्ज कॉलेज, अम्बाला छावनी के वैदिक ह्यूमन रिसर्च सैंटर एवं राजनीति शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में बैसाखी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अनुपमा आर्य ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि बैसाखी का पर्व उत्तर भारत में कृषि से जुड़ा हुआ है और नई फसल की कटाई की खुशी में मनाया जाता है। यह उत्सव कृषि, समाज और धर्म के संगम का प्रतीक है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता को प्रदर्शित करने वाला है। इसके साथ-साथ उन्होंने बताया कि इस दिन भारतीय इतिहास में जलियांवाला बाग हत्याकांड दुखद घटना घटित हुई थी। इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नया रूप दे दिया था और इस घटना ने स्वतंत्रता सेनानियों को ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता लाखों भारतीय की शहादत के बाद प्राप्त हुई थी और उन्होंने सभी शहीदों को नमन किया जिन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। इस कार्यक्रम में छात्राओं ने बैसाखी के त्यौहार के महत्व पर अपने-अपने विचार सांझा किए। डॉ. अमनीत कौर ने कहा कि बैसाखी को बिहू, बसाओ आदि नामों से भी जाना जाता है। इस दिन सिक्खों के दसवें गुरू श्री गुरू गोबिन्द सिंह जी के द्वारा खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। यह पर्व शांति, भाईचारे और समानता को दर्शाता है। इस कार्यक्रम का सफल नेतृत्व डॉ. अमनीत कौर, प्रो. गुरमीत, प्रो. सरस्वती, प्रो. वंदना तथा प्रो. विशाल द्वारा किया गया।