अंबाला, 13 मई:
पार्क हीलिंग टच हॉस्पिटल, अंबाला में आयोजित नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजी हेल्थ चेकअप कैंप में 60 से अधिक मरीजों की जांच की गई। इस निशुल्क शिविर का नेतृत्व वरिष्ठ नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. ज्योति अग्रवाल और यूरोलॉजिस्ट डॉ. तेजेंदर पाल सिंह खुराना ने किया। शिविर का उद्देश्य किडनी और यूरिन संबंधी रोगों के प्रति लोगों को जागरूक करना और समय रहते निदान एवं उपचार उपलब्ध कराना था।
कैंप में 32 से 80 वर्ष तक के मरीजों की जांच की गई। इनमें झागदार पेशाब, उच्च रक्तचाप, मधुमेह से जुड़ी किडनी समस्याएं, क्रोनिक किडनी डिजीज, किडनी स्टोन और प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि जैसी समस्याएं देखने को मिलीं। सभी मरीजों की रक्त व मूत्र जांच की गई, जिससे सटीक निदान में मदद मिली।
शिविर में मरीजों के लिए विशेष डाइट काउंसलिंग सत्र का आयोजन भी किया गया, जिसे हॉस्पिटल की डाइटीशियन मिस आरती ने संचालित किया। मरीजों को पोषण व जीवनशैली से जुड़ी सलाह देकर उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने पर जोर दिया गया।
यूरोलॉजिकल जांच के लिए यूरोफ्लोमेट्री और सीरम पीएसए टेस्ट जैसी उन्नत तकनीकों का भी उपयोग किया गया। कई ऐसे मरीज भी सामने आए जिन्हें अपनी बीमारी का पहले कोई अंदाजा नहीं था, लेकिन इस कैंप के जरिए उन्हें समय रहते परामर्श और जांच सुविधा मिल सकी।
हॉस्पिटल के गायनोकॉलोजी विभाग की ओर से डॉ. प्रतिभा ने महिलाओं की विशेष जांच की और उन्हें पीरियड्स की अनियमितता, श्वेत प्रदर, गर्भाशय संबंधी रोगों और हार्मोनल समस्याओं पर निशुल्क परामर्श प्रदान किया।
डॉ. ज्योति अग्रवाल ने कहा कि, “किडनी रोग अक्सर शुरुआती चरण में बिना लक्षण के होते हैं, इसलिए समय-समय पर जांच अत्यंत जरूरी है।” वहीं डॉ. तेजेंदर पाल सिंह खुराना ने कहा कि, “बढ़ती उम्र में प्रोस्टेट और मूत्र संबंधी समस्याएं आम हैं, लेकिन समय पर जांच और उपचार से इनका समाधान संभव है।”
🔬 1. नेफ्रोलॉजी (किडनी से जुड़ी बीमारियाँ)
✅ क्या होती हैं?
नेफ्रोलॉजी का संबंध किडनी (गुर्दे) से होता है। यह विभाग उन बीमारियों का इलाज करता है जो किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं, जैसे:
- क्रॉनिक किडनी डिज़ीज (CKD)
- डायबेटिक नेफ्रोपैथी
- हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी किडनी की समस्याएं
- किडनी फेल होना (Renal Failure)
- गुर्दे में सूजन या संक्रमण
⚠️ लक्षण:
- झागदार पेशाब
- शरीर में सूजन (विशेषकर टांगों, चेहरे पर)
- थकान, कमजोरी
- भूख कम लगना
- पेशाब में जलन या मात्रा में बदलाव
- हाई ब्लड प्रेशर
🛡️ बचाव के उपाय:
- रोजाना कम से कम 8–10 गिलास पानी पिएं
- नमक और चीनी का सेवन सीमित करें
- हाई बीपी और शुगर पर नियंत्रण रखें
- नियमित रूप से ब्लड व यूरिन टेस्ट करवाएं
- शराब, धूम्रपान और अत्यधिक दर्द निवारक दवाओं से बचें
- वजन नियंत्रित रखें
🧬 2. यूरोलॉजी (मूत्र व प्रोस्टेट से जुड़ी बीमारियाँ)
✅ क्या होती हैं?
यूरोलॉजी में मूत्र प्रणाली (किडनी, ब्लैडर, यूरिनरी ट्रैक्ट) और पुरुषों में प्रजनन प्रणाली की बीमारियों का इलाज किया जाता है, जैसे:
- मूत्र रुकावट या जलन
- किडनी स्टोन (पथरी)
- प्रोस्टेट ग्रंथि का बढ़ना (BPH)
- मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI)
- नपुंसकता या पुरुष बांझपन
⚠️ लक्षण:
- पेशाब करते समय जलन
- बार-बार पेशाब आना या रुक-रुक कर आना
- मूत्र में खून आना
- पेट या पीठ के निचले हिस्से में दर्द
- रात में बार-बार पेशाब आना (Nocturia)
- पुरुषों में यौन समस्या या इरेक्टाइल डिसफंक्शन
🛡️ बचाव के उपाय:
- ज़्यादा पानी पिएं, जिससे पथरी और इंफेक्शन से बचाव हो
- बाथरूम की सफाई और हाइजीन पर ध्यान दें
- मूत्र रुकने पर कभी भी देर न करें
- कैफीन और शराब का सेवन सीमित करें
- 50 वर्ष से ऊपर पुरुष सालाना प्रोस्टेट जांच करवाएं
- टाइट अंडरवियर और गंदे कपड़े पहनने से बचें
🧠 नोट:
किडनी और यूरोलॉजिकल समस्याओं की पहचान शुरुआती चरण में नहीं हो पाती, इसलिए नियमित हेल्थ चेकअप ज़रूरी हैं — खासकर 40 की उम्र के बाद या यदि परिवार में किसी को पहले से ये समस्याएं रही हों।
यहाँ किडनी (नेफ्रोलॉजी) और यूरिन/प्रोस्टेट (यूरोलॉजी) से जुड़ी समस्याओं से बचाव और प्रबंधन के लिए एक संतुलित डाइट चार्ट और योगासन दिए गए हैं।
🥗 डाइट चार्ट (नेफ्रोलॉजी + यूरोलॉजी मरीजों के लिए)
नोट: यह डाइट चार्ट सामान्य गाइडलाइन है। यदि किसी मरीज को डायबिटीज, हाई बीपी या किडनी फेलियर जैसी गंभीर स्थिति है, तो डाइटिशियन से व्यक्तिगत सलाह ज़रूरी है।
🌞 सुबह खाली पेट (6:30–7:00 AM)
- 1 गिलास गुनगुना पानी + 2 भीगे हुए अखरोट या 4 भिगोए बादाम
- चाहें तो 1 चम्मच अलसी (flaxseed) पाउडर गर्म पानी में मिलाकर
🍽️ नाश्ता (8:00–9:00 AM)
- दलिया / ओट्स / बेसन का चीला
- लो-सॉल्ट पोहा या उपमा
- साथ में 1 कप लो-फैट दूध (बिना शक्कर) या हर्बल चाय
बचना है: परांठा, नमकीन, अचार, प्रोसेस्ड फूड
🍎 मिड मॉर्निंग स्नैक (11:00 AM)
- 1 फल: सेब, अमरूद, पपीता या नाशपाती
- 1 गिलास नारियल पानी (अगर BP कम नहीं है)
🍛 दोपहर का भोजन (1:00–2:00 PM)
- 1–2 फुल्के (बिना घी के)
- लो-सोडियम सब्ज़ी: तोरी, लौकी, सहजन, टिंडा
- 1 कटोरी चावल (बिना नमक/पलिश किया हुआ) या दाल
- 1 कटोरी सलाद: खीरा, गाजर, मूली
- छाछ या लो-फैट दही (100 ml)
बचना है: पालक, टमाटर, नमक अधिक मात्रा में, राजमा-छोले (किडनी स्टोन वालों के लिए)
☕ शाम का नाश्ता (5:00–6:00 PM)
- हर्बल टी / ग्रीन टी
- 1 बिस्किट या मुरमुरा भेल (कम मसाले वाला)
🍲 रात का खाना (7:30–8:30 PM)
- हल्की सब्ज़ी + 1-2 फुल्के
- खिचड़ी (लो-सॉल्ट) या मूंग की दाल
- सलाद (बिना नमक)
🌙 सोने से पहले (9:30–10:00 PM)
- 1 गिलास गुनगुना पानी या हर्बल चाय
- चाहें तो 1 चम्मच मेथी दाना पाउडर
🧘♂️ योग और प्राणायाम (नेफ्रोलॉजी/यूरोलॉजी के लिए)
नियमित योग से किडनी और यूरिनरी सिस्टम की कार्यक्षमता सुधरती है और टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकलते हैं।
🧘 योगासन (15–30 मिनट रोज)
- भुजंगासन (Cobra Pose) – किडनी और प्रजनन अंगों के लिए फायदेमंद
- पवनमुक्तासन (Gas Release Pose) – यूरिनरी ट्रैक्ट को साफ रखने में सहायक
- वज्रासन (Digestive Pose) – पाचन और मूत्र प्रणाली दोनों के लिए
- धनुरासन (Bow Pose) – किडनी पर सकारात्मक प्रभाव
- सुप्त बद्ध कोणासन (Reclining Bound Angle Pose) – प्रोस्टेट और ब्लैडर की सेहत के लिए
🌬️ प्राणायाम
- अनुलोम-विलोम – ब्लड प्रेशर और ब्लड प्यूरिफिकेशन के लिए
- भ्रामरी – स्ट्रेस कम करने और किडनी कार्यक्षमता बढ़ाने में मददगार
- कपालभाति – शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकालने के लिए (हल्के रूप में करें)
📌 अतिरिक्त सुझाव:
- रोज कम से कम 30 मिनट टहलें
- धूम्रपान, शराब, सॉफ्ट ड्रिंक्स और प्रोसेस्ड फूड से पूरी तरह बचें
- पेशाब रोकना या देर करना आदत न बनाएं
- ज़्यादा प्रोटीन, खासकर रेड मीट या सप्लीमेंट्स से परहेज़ करें (किडनी के मरीज)