अम्बाला, 1 जून 2025:
पोस्टल एंड आरएमएस एम्प्लाइज को-ऑपरेटिव बैंक की वार्षिक आम सभा आज सिया वाटिका में संपन्न हुई, जहां एक ओर बैंक के अधिकारियों द्वारा संस्था की प्रगति और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला गया, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने महत्वपूर्ण सवाल उठाकर सभा को तीखा मोड़ दे दिया।
पूर्व चेयरमैन नरेश गुप्ता को जब मंच पर आमंत्रित किया गया, तो उन्होंने बैंक के सीईओ अश्वनी अग्रवाल द्वारा जारी वार्षिक एजेंडा पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव एक्ट 2002 (संशोधित 2023) के तहत जो बदलाव किए गए हैं, वे बैंक के संविधान में अभी तक शामिल नहीं किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय रजिस्ट्रार द्वारा फरवरी 2024 में जारी पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि 30 सितंबर 2024 से पूर्व सभी बदलावों को बायलॉज़ में शामिल करना अनिवार्य है।
नरेश गुप्ता ने विशेष रूप से इस बिंदु पर ज़ोर दिया कि बैंक के निदेशक पद हेतु अब वही सदस्य पात्र होगा जो पिछले पांच आम सभाओं में से कम से कम तीन में उपस्थित रहा हो।
उनके वक्तव्य के दौरान चेयरमैन और उनके सहयोगियों द्वारा बीच में टोकने की कोशिश की गई, जिससे नाराज होकर नरेश गुप्ता, विनय कुमार और रवींद्र हुड्डा के नेतृत्व में 150 से अधिक सदस्यों ने मीटिंग का बहिष्कार कर दिया।
गंभीर सवाल बैंक बोर्ड के समक्ष:
मीटिंग का बहिष्कार करने वाले सदस्यों ने बोर्ड से निम्नलिखित सवाल उठाए हैं:
- क्या कारण है कि 8 अक्टूबर 2023 को हुए निदेशक मंडल के चुनाव को केंद्रीय रजिस्ट्रार ने मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव एक्ट 2023 के अनुरूप नहीं माना, और 1 फरवरी 2024 को इस संबंध में बैंक को पत्र भी जारी किया गया?
- चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए वादों — जैसे कि सुरक्षाकर्ताओं (Surities) की अनिवार्यता समाप्त करना और शेयर मनी की बाध्यता खत्म करने — पर क्या कार्रवाई हुई?
- बैंक सदस्यों के क्रेडिट स्कोर (CIBIL) सुधार की दिशा में अब तक क्या प्रगति हुई है?
सभा में उठे इन सवालों और मीटिंग के बहिष्कार से यह स्पष्ट है कि बैंक के आंतरिक प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर सदस्यों में असंतोष व्याप्त है। अब देखना यह होगा कि बैंक बोर्ड इस स्थिति को कैसे संभालता है और सदस्यों की शंकाओं का समाधान किस तरह करता है।