Pahalgam Terror Attack: कांग्रेस ने पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले को लेकर अपनी पार्टी की सार्वजनिक स्थिति स्पष्ट करते हुए सभी नेताओं, प्रवक्ताओं और सोशल मीडिया इकाइयों को सख्त निर्देश जारी किए हैं.
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने आधिकारिक पत्र के माध्यम से यह स्पष्ट किया है कि पार्टी की ओर से जारी किसी भी प्रतिक्रिया, बयान या टिप्पणी को केवल 24 अप्रैल 2025 को कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार ही प्रस्तुत किया जाए.
कांग्रेस की पार्टी नेताओं को जारी निर्देश इस प्रकार हैं:-
पार्टी की ओर से दी जाने वाली सभी प्रतिक्रियाएं- चाहे वे प्रेस के माध्यम से हों या सोशल मीडिया पर, CWC प्रस्ताव के अनुरूप ही होनी चाहिए.
कोई भी अनौपचारिक, निजी या पार्टी लाइन से इतर बयान गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आएगा.
इस प्रकार के उल्लंघन पर बिना किसी अपवाद के कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
अधिकृत वक्तव्यों की सीमा केवल CWC प्रस्ताव तक ही सीमित होगी.
कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इस प्रकार की संवेदनशील राष्ट्रीय घटनाओं पर एकजुट, गरिमामय और ज़िम्मेदार प्रतिक्रिया आवश्यक है. पार्टी ने अपने नेताओं से अपील की है कि वे इस कठिन समय में संयम, अनुशासन और संगठनात्मक एकता का परिचय दें. केसी वेणुगोपाल ने कहा कि कांग्रेस के हर नेता को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह केवल पार्टी की अधिकृत स्थिति को ही आगे बढ़ाए.
कांग्रेस ने क्यों लिया ये एक्शन?
पत्र में वेणुगोपाल ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी पहलगाम में हुए निंदनीय आतंकी हमले से गहरे शोक में है और इस दुखद घड़ी में राष्ट्र के साथ पूर्ण एकजुटता के साथ खड़ी है.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘ऐसे कठिन समय में, जब हमारी सामूहिक संकल्पशक्ति की परीक्षा हो रही है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को एकता, परिपक्वता और जिम्मेदारी का ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए जो उन मूल्यों को दर्शाए, जिनके आधार पर पार्टी ने दशकों तक राष्ट्र की सेवा की है, चाहे पार्टी सरकार में रही हो या विपक्ष में.’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में 24 अप्रैल 2025 को हुई कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में पारित प्रस्ताव के माध्यम से पहलगाम हमले को लेकर पार्टी की ठोस और सर्वसम्मत स्थिति स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है. उनका कहना है कि यह प्रस्ताव इस विषय पर पार्टी की सार्वजनिक अभिव्यक्ति का एकमात्र आधार होना चाहिए.