आर्य गर्ल्ज कॉलेज, अम्बाला छावनी के आई.क्यू.ए.सी. सैल द्वारा चलाए जा रहे संकाय विकास कार्यक्रम के पांचवे दिन तनाव मुक्त जीवन में पुस्तकों के योगदान पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में सभी प्राध्यापिकाओं ने पुस्तकों के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार किताबें उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं। इस कार्यक्रम में प्राध्यापिकाओं ने अपनी पसंदीदा किताबों के बारे में विचार सांझा भी किए। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अनुपमा आर्य ने अपने संदेश में कहा कि किताबें आत्मा की खुराक हैं और लक्ष्य की प्राप्ति का अचूक साधन हैं। इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि ‘‘किताबों से इश्क कीजिए क्योंकि किताबें कभी धोखा नहीं देती।’’ प्रो. रंजू त्रेहन ने बताया कि आज के बढ़ते सोशल मीडिया के चलन के कारण तनाव में बढ़ौतरी हो रही है, ऐसे समय में पुस्तकें की युवाओं का मार्गदर्शन कर सकती हैं। डॉ. रेखा वासु ने बताया कि हम सभी के जीवन में पुस्तकें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं और नकारात्मकता को दूर करती हैं। डॉ. सुमन ने कहा कि किताबें हमारे अच्छे मित्र के रूप में सदैव हमारे साथ रहकर हमारा मार्गदर्शन करती हैं।
डॉ. अमनीत और डॉ. पंकज ने बताया कि इतिहास साक्षी है कि संसार के महान विचारक, राजनीतिज्ञों, महापुरूषों के जीवन में पुस्तकों ने सम्पूर्ण योगदान दिया। डॉ. अमनदीप ने बताया कि उन्हें प्रेरणादायक किताबों को पढ़ना और छात्राओं से उसे सांझा करना बहुत अच्छा लगता है। ऐसा करने से छात्राओं को लक्ष्य चुनने में मदद मिलती है। डॉ. सरिता ने कहा कि उन्हें महापुरूषों की जीवन गाथा पढ़ना बहुत पसंद है। ऐसी पुस्तकें उन्हें विपरित परिस्थितियों में निर्णय लेने में मददगार सिद्ध होती हैं और बहुत तरह के अनुभव भी प्रदान करती हैं। डॉ. शचि ने कहा कि किताबें पढ़कर उनका मनोबल एवं आत्मबल बढ़ता है और उन्हें सही मार्गदर्शन भी प्राप्त होता है। श्रीमती कमलेश गोयल ने बताया कि पुस्तकें पढ़ने की आदत हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करनी चाहिए। इस कार्यक्रम में सभी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। यह कार्यक्रम आई.क्यू.ए.सी. इंचार्ज डॉ. रंजू, डॉ. सुमन तथा डॉ. अमनीत की देखरेख में हुआ।