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महाकुंभ का पहला अमृत स्नान (शाही स्नान) आज सुबह 6 बजे से शुरू हुआ। संन्यासियों के हाथों में तलवार-त्रिशूल, डमरू। पूरे शरीर पर भभूत। घोड़े और रथ की सवारी। हर-हर महादेव का उद्घोष करते हुए नागा साधु-संत संगम पहुंच रहे हैं।

निर्वाणी-निरंजनी अखाड़े के संत स्नान कर चुके हैं। अब महाकुंभ के सबसे बड़े जूना अखाड़े के संत संगम के लिए निकले हैं। किन्नर संत भी उनके साथ हैं। नागा साधु-संत करतब दिखाते हुए संगम तक पहुंच रहे हैं।

नागा साधुओं का अमृत स्नान देखने के लिए संगम क्षेत्र में 15 से 20 लाख श्रद्धालु हैं। देश-दुनिया से आए भक्त साधु-संतों का आशीर्वाद लेने के लिए उत्सुक हैं। कोई पैर छूने के लिए दौड़ रहा है तो कोई उनकी चरण रज माथे से लगा रहा है।

DGP प्रशांत कुमार ने कहा- सुबह 7 बजे तक 1 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं। तुर्किये से आई मुस्लिम महिला पिनार ने महाकुंभ में स्नान किया। कहा- महाकुंभ के बारे में दोस्तों से सुना था। भारत आकर इसे देखने की इच्छा काफी समय से थी। आज पूरी हो गई।

संगम जाने वाले सभी रास्तों में 8 से 10 किमी तक श्रद्धालुओं का रेला है। स्नान के लिए सभी 13 अखाड़ों को अलग-अलग 30-40 मिनट का समय दिया है। संगम पर दुनियाभर का मीडिया और 50 से ज्यादा देशों के श्रद्धालु हैं।

DGP ने कहा- हम अलर्ट, ड्रोन और CCTV से निगरानी
DGP प्रशांत कुमार ने कहा- आज महाकुंभ का प्रथम अमृत स्नान है। जिसमें विभिन्न अखाड़ों को साधु-सन्यासी भी स्नान कर रहे हैं। आज ब्रह्म मुहूर्त से ही अखाड़ों का आना शुरू हो चुका है। अन्य घाटों पर जो स्नान चल रहा है।

सुबह 7 बजे तक वहां 98 लाख 20 हजार लोगों ने स्नान कर लिया था, ऐसे में अब तक 1 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं। आज घाटों पर अत्यंत भीड़ है। हमारे सभी अधिकारी और कर्मचारी तैनात हैं। हमारे सभी कंट्रोल रूम से निगरानी की जा रही है। सभी लोग रेड अलर्ट पर हैं।

हम लोगों का प्रयास है कि स्नान पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो। ड्रोन और CCTV कैमरों का भी भरपूर प्रयोग किया जा रहा है।

पौष पूर्णिमा पर पवित्र स्नान के साथ ही आज से प्रयागराज की पुण्यभूमि पर महाकुंभ का शुभारंभ हो गया है। हमारी आस्था और संस्कृति से जुड़े इस दिव्य अवसर पर मैं सभी श्रद्धालुओं का हृदय से वंदन और अभिनंदन करता हूं। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का यह विराट उत्सव आप सभी के जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार करे, यही कामना है।

Tirupati mandir

आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में भगदड़ मचने से चार श्रद्धालुओं की मौत हो गई है…बताया जा रहा है कि तिरुमाला वैकुण्ठ द्वार सर्वदर्शनाम टोकन जारी करने के दौरान हंगामा मच गया.वैकुण्ठ द्वार दर्शन के दौरान श्री तिरुपति बालाजी धाम में दर्शन टोकन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. एक साथ टोकन लेने आए श्रद्धालुओं में भारी भगदड़ मच गई. इसी क्रम में तमिलनाडु के सेलम के एक श्रद्धालु के साथ कुल 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है व 40 से अधिक श्रद्धालु घायल है इस घटना में चार और श्रद्धालु गंभीर रूप से बीमार पड़ गये थे जिनमें एक महिला के बेहोश होने पर द्वार खोल कर उसे निकाल जा रहा जिसके बाद भगदड़ मच गई व यह बड़ा हादसा हो गया

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बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य, जानें मसौदा प्रस्ताव में और क्या
DPDP Draft: केंद्र सरकार की तरफ से डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी कर दिया गया है। इस मसौदे के तहत, बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट खोलने के लिए किसी वयस्क की सहमति लेना जरूरी होगा। यह वयस्क माता-पिता या अभिभावक हो सकते हैं।
केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण (डीपीडीपी)-2025 का मसौदा जारी कर दिया है। इसमें नाबालिग बच्चों और दिव्यांगों के व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा पर जोर दिया गया है, हालांकि इसके उल्लंघन के लिए किसी दंडात्मक कार्रवाई का जिक्र नहीं है। मसौदे के अनुसार, बच्चों के डाटा का किसी भी रूप में इस्तेमाल करने के लिए माता-पिता की सहमति अनिवार्य होगी। यानी, माता-पिता की सहमति के बिना कोई भी डाटा फिड्यूशरीज (व्यक्तिगत डाटा एकत्र करने व इसका इस्तेमाल करने वाली संस्थाएं) बच्चों का डाटा इस्तेमाल नहीं कर सकेंगी।
करीब 14 महीने पहले संसद की ओर से डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम-2023 को मंजूरी देने के बाद मसौदा नियम सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किए गए हैं। मसौदा माईजीओवी वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। इसका उद्देश्य डिजिटल व्यक्तिगत डाटा की सुरक्षा के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत करना है। मसौदा नियमों में डिजिटल डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति लेने, डाटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान तय किए गए हैं। नियमों में व्यक्तियों से स्पष्ट सहमति हासिल करने के लिए एक तंत्र बनाने की बात कही गई है। 18 फरवरी के बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।

दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान नहीं
मसौदे के अनुसार, डाटा फिड्यूशरी को यह जांच करनी होगी कि बच्चे के माता-पिता के रूप में खुद की पहचान बताने वाला व्यक्ति वयस्क है और भारत में लागू कानून का पालन करने वाला है। डाटा फिड्यूशरी बच्चों का डाटा केवल उस समय तक ही रख सकेंगे, जिसके लिए सहमति दी गई है। इसके बाद इसे हटाना होगा।

मसौदा नियमों की कुछ प्रमुख बातें
उपभोक्ताओं को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
उपयोगकर्ता अपने डेटा को हटाने की मांग कर सकेंगे।
कंपनियों को अपने व्यक्तिगत डेटा के बारे में अधिक पारदर्शी होना होगा।
उपभोक्ताओं को यह पूछने का अधिकार होगा कि उनका डेटा क्यों एकत्र किया जा रहा है।
डेटा उल्लंघन के लिए 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

नियमों में बिक्री के लिए सामान देने वाला विक्रेता शामिल नहीं
नियमों में ‘ई-कॉमर्स इकाई’ को ऐसे किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म का स्वामित्व या प्रबंधन करता है, लेकिन इसमें परिभाषित ई-कॉमर्स इकाई के बाजार में बिक्री के लिए सामान या सेवाओं की पेशकश करने वाला विक्रेता शामिल नहीं है।

ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ और सोशल मीडिया गेमिंग मध्यस्त
मसौदा नियमों के अनुसार, ‘ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ’ का तात्पर्य किसी ऐसे मध्यस्थ से है जो अपने कंप्यूटर संसाधन के उपयोगकर्ताओं को एक या अधिक ऑनलाइन गेम तक पहुंचने में सक्षम बनाता है, और ‘सोशल मीडिया मध्यस्थ’ से तात्पर्य सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) में परिभाषित मध्यस्थ से है, जो मुख्य रूप से या पूरी तरह से दो या अधिक उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन बातचीत को सक्षम बनाता है और उन्हें अपनी सेवाओं का उपयोग करके जानकारी बनाने, अपलोड करने, साझा करने, प्रसारित करने, संशोधित करने या उस तक पहुंचने की अनुमति देता है।
डीपीडीपी अधिनियम के मसौदे में क्या?
मसौदा अधिसूचना में कहा गया है, ‘डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 (2023 का 22) की धारा 40 की उप-धाराओं (1) और (2) की तरफ से प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार की तरफ से अधिनियम के लागू होने की तिथि को या उसके बाद बनाए जाने वाले प्रस्तावित नियमों का मसौदा, इससे प्रभावित होने वाले सभी व्यक्तियों की जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाता है।’ मसौदा नियमों में डिजिटल डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत व्यक्तियों की सहमति प्रसंस्करण, डेटा प्रसंस्करण निकायों और अधिकारियों के कामकाज से संबंधित प्रावधान निर्धारित किए गए हैं।

मसौदा नियमों पर 18 फरवरी के बाद किया जाएगा विचार
वहीं अधिसूचना में कहा गया है, ‘…इसके तरफ से यह सूचित किया जाता है कि उक्त मसौदा नियमों पर 18 फरवरी, 2025 के बाद विचार किया जाएगा।’ मसौदा नियमों में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 के तहत स्वीकृत दंड का उल्लेख नहीं किया गया है। अधिनियम में डेटा के लिए जिम्मेदारों- व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण के उद्देश्य और साधन निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है।