अम्बाला कैंट – अटूट श्रद्धा और भक्ति का पर्याय बन चुका दयाल बाग गणेशोत्सव इस वर्ष भी अलौकिक आभा के साथ प्रारंभ हुआ। 12 वर्ष पूर्व स्थानीय बच्चों की आस्था से शुरू हुई यह परंपरा आज अम्बाला कैंट ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र की आस्था का केंद्र बन चुकी है।
पंडित राम यश शास्त्री के वैदिक मंत्रोच्चार और विधि-विधान पूर्वक 27 अगस्त को गणपति महाराज को दयाल बाग में विराजित किया गया। गणपति जी की मूर्ति इस बार कलकत्ता के कारीगरों ने यमुनानगर में तैयार की, जिसे ढाई माह की मेहनत के बाद आकर्षक रूप प्रदान किया गया।
प्रति दिन सुबह 7 बजे और शाम 7 बजे आरती का शुभ आयोजन किया जा रहा है। विशेष रूप से बच्चों ने अपने नन्हें हाथों से गणपति महाराज की छवि रंगों और आकृतियों से सजाकर भक्तिमय वातावरण और भी मनमोहक बना दिया।
मंडल सदस्य अमन, जितेंद्र, भार्गव, यश, आर्यन, ऋषभ, हेमंत, रोहित, अंकित, मयंक, शिवम, नरेंद्र, अभी और पर्व ने बताया कि 4 सितम्बर को भव्य भजन संध्या व विशाल भंडारे का आयोजन होगा जबकि 6 सितम्बर को गणपति विसर्जन यमुनानगर की पावन यमुना नदी में संपन्न होगा।
गौरतलब है कि ‘दयाल बाग के राजा’ के दर्शन हेतु भक्तों की भीड़ हर वर्ष दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, परंतु समर्पित कार्यकर्ताओं और गणेश मित्र मंडल के सहयोग से व्यवस्था संतुलित और अनुशासित ढंग से चल रही है।
✨ संक्षेप में कार्यक्रम:
- दैनिक आरती: सुबह 7 बजे और शाम 7 बजे
- भजन संध्या एवं विशाल भंडारा: 4 सितम्बर
- विसर्जन: 6 सितम्बर, यमुनानगर