अम्बाला, 14 जून: अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान AI-178, जिसमें 242 लोग सवार थे, गुरुवार 12 जून को दोपहर में उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह हादसा भारत के एविएशन इतिहास के सबसे बड़े हादसों में शामिल हो गया। इस भीषण दुर्घटना में केवल एक यात्री जीवित बचा — सीट नंबर 11ए का यात्री।
भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड विंग कमांडर एस.डी. विज ने इस हादसे पर गहरी चिंता जताते हुए कई तकनीकी बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विमान के दोनों इंजन एक साथ फेल होना अत्यंत दुर्लभ है, लेकिन इतिहास में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं — जैसे कि ‘मिरेकल ऑन द हडसन’ और ‘एयर ट्रान्साट फ्लाइट 236’।
विज के अनुसार, एयर इंडिया के बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर के इंजन में कूलिंग सिस्टम, तेल या ईंधन प्रणाली में ब्लॉकेज के कारण यह खराबी आ सकती है। टेक-ऑफ के बाद विमान सिर्फ 825 फीट तक ही ऊंचाई पकड़ सका और उसका लैंडिंग गियर अभी नीचे ही था, जिससे संकेत मिलता है कि थ्रस्ट लॉस के कारण विमान गिर गया।
उन्होंने संभावना जताई कि टेक-ऑफ के दौरान पायलट द्वारा की गई कॉन्फ़िगरेशन गलती या अपर्याप्त लिफ्ट भी दुर्घटना का कारण हो सकती है। मेडे कॉल करने के बावजूद पायलट को स्थिति संभालने का अवसर नहीं मिल सका।
रिटायर्ड विंग कमांडर विज ने यह भी बताया कि दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है। उन्होंने कहा, “हालांकि हादसे के समय आग की वजह से तापमान अत्यधिक रहा, लेकिन ब्लैक बॉक्स 1400 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहने में सक्षम होता है। इसके डाटा से आगामी जांच में स्पष्टता आएगी।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस हादसे की गहराई से जांच आवश्यक है ताकि यह समझा जा सके कि आधुनिक तकनीक से लैस विमानों में ऐसी त्रुटियां आखिर कैसे और क्यों होती हैं।
यह हादसा कई सवाल छोड़ गया है — क्या यह टेक्निकल फेलियर था, क्या कोई मानवीय चूक हुई, या किसी बाहरी कारण से यह त्रासदी घटी? इन सभी पहलुओं पर अब ब्लैक बॉक्स और विस्तृत जांच रिपोर्ट ही प्रकाश डाल सकेगी।