अब तुरंत किसानों का बकाया मुआवजा भी जारी करे सरकार, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को झटका देकर दादुपुर नलवी नहर के डि-नोटिफाई कानून को असंवैधानिक करार दिया
अम्बाला शहर 4 जनवरी 2025:- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व अम्बाला शहर के विधायक निर्मल सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के दादूपुर-नलवी नहर के डी- नोटिफिकेशन कानून 101ए को असंवैधानिक करार देने पर भाजपा सरकार पर निशान साधा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से यह साफ हो गया है कि राज्य सरकार ने जानबूझकर किसानों को नुकसान पहुंचाने के लिए इस नहर को डी नोटिफाई किया था। उन्होंने पहले दिन से ही सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध किया था। विधायक निर्मल सिंह ने हाईकोर्ट के निर्णय पर खुशी जताते हुए कहा कि अब राज्य सरकार को किसानों की बकाया मुआवजा राशि भी तुरंत देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह किसानों के हक में निर्णय हुआ है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से अब 223 गांवों के किसानों की प्यासी जमीन को फिर से सिंचाई के लिए पानी मिलेगा। विधायक निर्मल सिंह ने कहा कि दादूपुर-नलवी नहर को 101ए कानून के तहत राज्य की भाजपा सरकार डी नोटिफाई करने के आदेश दिए थे उसे अब पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस आदेश से अब एक और किसानों को अपने मुआवजे की बकाया राशि मिलेगी। साथ ही नहर के भी दोबारा शुरू होने पर 223 गांव के लोगों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलेगा।
उन्होंने बताया कि सन 2004 -2005 में कांग्रेस की सरकार के समय मे दादूपुर-नलवी नहर का कार्य शुरू हुआ था और 2008-2009 से इस नहर में पानी चालू कर दिया गया था जो लगातार 2017 तक इसमें पानी चलता रहा। जिससे इस क्षेत्र में भूमि का जलस्तर भी बढ़ा और गांव की जमीनों को सिंचाई का भी लाभ मिला था। उन्होंने बताया कि यह नहर 50 किलोमीटर तक की बनाई गई।और इसमें 1026 एकड़ भूमि को अधिकृत किया गया था। उस समय में सरकार द्वारा भूमि मालिकों को 5 लाख से लेकर 14 लाख रुपये तक प्रति एकड़ मुआवजा राशि दी गई थी। जबकि उस समय जमीन की बाजार में कीमत 40 से 50 लाख रुपये प्रति एकड़ थी। सिंह ने कहा कि इसको लेकर किसानों 2005 से कम मुआवजा राशि देने की और बाजार भाव के अनुसार एक करोड़ 25 लाख रूपये मांग की भी लड़ाई लड़ी। उच्च न्यायालय के द्वारा 2016 में मुआवजा राशि 1 करोड़ 25 लाख रूपये की बजाए एक करोड़ 16 लाख रूपये निर्धारित की ।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा 2018 में बनाए गए डी-नोटिफिकेशन 101ए कानून को उच्च न्यायालय के द्वारा रद्द कर दिया है। विधायक निर्मल सिंह ने बताया कि यह देश की पहली ऐसी एक नहर है जिसमें 10 साल तक पानी छोड़कर उसे बंद कर दिया गया। सरकार द्वारा नहर की मिट्टी को उठाकर बेच दिया गया। इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा वन विभाग और सिंचाई विभाग से भी सलाह ली गई थी। दोनों विभागों ने कहा कि भूजल स्तर के रिचार्ज के लिए भी नहर को चालू करने की जरूरत है। विधायक ने कहा कि किसान लंबे समय से अपने लंबित मुआवजे को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मगर सरकार उनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से 223 गांवों के लोग खुश है।