सात दिवसीय कार्यक्रम को विश्व हिन्दी दिवस मनाकर किया समापन
कार्यशाला में हिन्दी दिवस पर कविताओं का हुआ वाचन
हम सोचते हैं और जो भी हमारे अनुभव हैं उन्हें कलमबद्ध करना, हमें तनाव व अवसाद से मुक्ति दिलाता है: डॉ. अनुपमा आर्य
आर्य गर्ल्ज कॉलेज, अम्बाला छावनी के आई.क्यू.ए.सी. सैल द्वारा चलाए जा रहे सात दिवसीय संकाय विकास कार्यक्रम के सातवें दिन विश्व हिन्दी दिवस को मनाते हुए समापन किया गया जिसका उद्देश्य तनाव को दूर कर जीवन को सरलता से जीना रहा। महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. अनुपमा आर्य ने इस उपलक्ष्य में पर कहा कि आज ‘‘हम तन-मन से करते हैं वंदन अपनी माँ बोली हिन्दी भाषा का’’। जो हम सोचते हैं और जो भी हमारे अनुभव हैं उन्हें कलमबद्ध करना, हमें तनाव व अवसाद से मुक्ति दिलाता है। हिन्दी भाषा हमारे भावों की अभिव्यक्ति है। प्राचार्या महोदया ने स्वयं रचित रचनाओं का वाचन कर वातावरण को भाव-विभोर कर दिया। उनके द्वारा ‘‘छटपटाहट’’, ‘‘जिन्दगी की गति’’ व ‘‘मां’’ कविताओं का सुंदर वाचन किया गया। प्राचार्या महोदया ने अपनी स्वयं रचित रचनाओं में से कुछ पंक्तियां दोहराई –
‘‘किसी के चले जाने से दुनियां नहीं रूकती, रूक जाता है तुम्हारा उत्साह, मर जाता है तुम्हारा जोश’’, ‘‘क्या तु दुर्गा थी माँ, जो दो हाथों से दस का काम करती थी, ठंड से तेरी बाजू नहीं दुखती थी’’। इसी तरह प्राचार्या महोदया ने प्रवासी बसे बच्चों को संबोधित करते हुए कहा ‘‘रंगीनियों में भी वो नूर नहीं…., तुम जाओ, तुम जाओ, दूर आसमानों में उड़ो, पंख फैलाओ, चांद सितारों की तरह चमको…।
इस अवसर पर प्राध्यापिका वर्ग ने भी स्वयं रचित रचनाओं का पाठन कर हिन्दी भाषा से जुड़े महत्व को इंगित किया। श्रीमती कमलेश गोयल ने ‘‘वो बचपन की मस्ती, वो दोस्तों की बस्ती’’ कविता का पठन कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. सुमन बाला ने अपने भावों को कागज पर उतारने का महत्व बताते हुए कहा कि अंतर्मन में चलने वाले भावों को कागज पर उतारना मन को हल्का करता है तथा तनाव मुक्त करता है। हिन्दी विभाग से प्रो. ममता भटनागर ने विश्व हिन्दी दिवस पर हिन्दी के प्रति प्रेम को दर्शाती कविता ‘‘हमारी शान है हिन्दी भाषा, हमारा मान है हिन्दी भाषा’’ प्रस्तुत की। पुस्तकालयाध्यक्ष डॉ. प्रिया शर्मा ने तनाव को दूर करने वाले दोहों का सुंदर वाचन किया। कार्यक्रम में स्वयं रचित हिन्दी भाषा के महत्व व गौरव को दर्शाती हुए कविताओं का वाचन किया। कार्यशाला के सातों दिनों में सकारात्मक सोच पर जीवन पर प्रभाव, ध्यान, एरोबिक्स और जुम्बा, योग, तनाव मुक्त जीवन में पुस्तकों का योगदान, सफलता की कहानियां तथा लेखन द्वारा तनाव प्रबंधन तथा विश्व हिन्दी दिवस परिचर्चा का विषय रहे। कार्यक्रम में प्रो. रंजू त्रेहन, श्रीमती कमलेश गोयल, डॉ. सुमन, डॉ. अमनदीप, डॉ. शचि शुक्ला, डॉ. अनु वर्मा, डॉ. पंकज, डॉ. प्रिया शर्मा तथा प्रो. ममता भटनागर सम्मिलित रहे।