जिस कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को लॉकडाउन में ढकेल दिया था, वह एक बार फिर लौट आया है। एशिया के कई देशों जैसे चीन, सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग और थाईलैंड में कोविड-19 की नई लहर देखी जा रही है। इस नए उभार ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। सिंगापुर में संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। भारत में भी मुंबई के केईएम अस्पताल में कोविड पॉजिटिव पाए गए दो मरीजों की मौत हो चुकी है। अभिनेत्री शिल्पा शिरोडकर भी इस वायरस की चपेट में आ चुकी हैं। इस बार मामलों में आई तेजी के पीछे Omicron के नए सबवैरिएंट्स जैसे JN.1 और उससे जुड़ा LF.7 मुख्य कारण माने जा रहे हैं।
सिंगापुर में बढ़ते संक्रमण के आंकड़े
मई 2025 की शुरुआत में सिंगापुर में कोविड मरीजों की संख्या बढ़कर 14,000 से ज्यादा हो गई, जबकि अप्रैल के आखिरी सप्ताह में यह आंकड़ा करीब 11,100 था। अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा देखा गया है, हालांकि गहन चिकित्सा इकाइयों (ICU) में भर्ती मामलों में थोड़ी गिरावट आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल ये वैरिएंट्स पहले की तुलना में ज्यादा गंभीर नहीं हैं, लेकिन इनकी तेजी से फैलने की क्षमता और घटती इम्यूनिटी इसे बढ़ावा दे रही है। वर्तमान में LF.7 और NB.1.8 वेरिएंट्स प्रमुख रूप से सक्रिय हैं, जो JN.1 की शाखाएं हैं।
क्या है JN.1 वैरिएंट?
JN.1, Omicron के BA.2.86 वंश का एक रूप है, जिसकी पहचान पहली बार अगस्त 2023 में हुई थी। दिसंबर 2023 में इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ यानी ध्यान देने योग्य वैरिएंट की श्रेणी में रखा। इसमें लगभग 30 तरह के म्यूटेशन होते हैं जो वायरस को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में मदद करते हैं — ये संख्या अन्य वैरिएंट्स की तुलना में अधिक है। हालांकि BA.2.86 ने महामारी के दौरान प्रमुख स्ट्रेन का रूप नहीं लिया, लेकिन उसका यह वंशज JN.1 कुछ अतिरिक्त म्यूटेशन्स की वजह से ज्यादा तेजी से फैलने में सक्षम हो गया है। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक, JN.1 ने अब अधिक कुशलता से फैलने की क्षमता हासिल कर ली है। सिंगापुर में कोविड वायरस के अंश सीवेज के पानी में भी पाए गए हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह वैरिएंट पुराने वेरिएंट्स से ज्यादा तेजी से फैलता है या नहीं।
WHO के अनुसार, JN.1 वर्ष 2025 के 12वें महामारी सप्ताह के दौरान चार प्रमुख क्षेत्रों में सबसे अधिक पाया गया SARS-CoV-2 वैरिएंट था — पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 93.9%, दक्षिण-पूर्व एशिया में 85.7%, यूरोप में 94.7% और अमेरिका में 93.2%।
क्या मौजूदा वैक्सीन्स JN.1 पर असरदार हैं?
विभिन्न रिसर्च में यह पाया गया है कि JN.1 वैरिएंट शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा देने में सक्षम है। जीवित वायरस और प्रयोगशाला में तैयार किए गए कृत्रिम वायरस पर किए गए अध्ययनों में सामने आया है कि टीकाकरण या पहले के संक्रमण से बनी एंटीबॉडीज, JN.1 को पहले जैसे प्रभावी ढंग से रोकने में सक्षम नहीं हैं। इसका मतलब है कि यह वैरिएंट शरीर की मौजूदा प्रतिरक्षा सुरक्षा को आंशिक रूप से भेद सकता है।
हालांकि, WHO का कहना है कि Omicron के XBB.1.5 सबवैरिएंट को लक्षित करने के लिए बनाई गई मोनोवैलेंट बूस्टर वैक्सीन, कई अध्ययनों में JN.1 के खिलाफ अच्छी सुरक्षा प्रदान करती दिखी है।