यमुनानगर, हरियाणा – जिले में एक बड़े संपत्ति घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें नगर निगम के दो अधिकारियों सहित कुल सात लोगों पर प्रॉपर्टी आईडी बदलकर करोड़ों रुपये की संपत्तियों को धोखाधड़ी से बेचने का आरोप लगा है। इस मामले में संबंधित थाना पुलिस ने गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार, आरोपियों ने सुनियोजित तरीके से नगर निगम के सिस्टम में प्रॉपर्टी की मूल पहचान (प्रॉपर्टी आईडी) में बदलाव किया, जिससे असली मालिकों को अंधेरे में रखकर उनकी संपत्तियों को किसी और के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई। यह गड़बड़ी केवल एक-दो मामलों तक सीमित नहीं है। ऐसे कई मामले लोक संपर्क एवं कष्ट निवारण समिति की बैठकों में भी सामने आ चुके हैं, जहां शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उनकी संपत्तियों की पहचान बिना उनकी जानकारी के बदल दी गई।
इस मामले ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि निगम के कुछ अंदरूनी कर्मचारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा अंजाम दिया गया, जिससे सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर संपत्ति की बिक्री को वैध रूप दिया गया।
प्रशासन सख्त, होगी गहन जांच
जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि दोषी चाहे कोई भी हो, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही नगर निगम के रिकॉर्ड की डिजिटल ऑडिट भी करवाई जा रही है ताकि अन्य संदिग्ध मामलों का भी पता लगाया जा सके।
जनता में आक्रोश
इस घोटाले के सामने आने के बाद आम जनता में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि यदि नगर निगम के सिस्टम में इस तरह की छेड़छाड़ संभव है, तो किसी की भी संपत्ति सुरक्षित नहीं रह जाएगी।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में कितनी तेजी और पारदर्शिता से कार्रवाई करता है और क्या भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं।